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dkBh u`R; Kathi
yg¡xh u`R; Lehangi
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काठी नृत्य मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल का एक प्रसिध्द लोक-नाट्य हैं, जिसे वलाही हरिजन समुदाय के लोग करते हैं । नृत्य के पूर्व नर्तक काष्ठ निर्मित तथा वस्त्रों से सुसज्जित अपनी इष्ट देवी ‘काठी’ माता को पवित्र कर संस्कारानुसार पूजा करते हैं । सम्भवतः इसी कारण इस नृत्य को काठी नाम से जाना जाता है तथा काठियावाड़ को इस नृत्य का जन्म स्थल माना जाता है । काठी माता के आराधक ‘भगत’ नाम से पुकारे जाते है । इस नृत्य के प्रमुख पात्र ‘राजुल्या’ काठी माता को हाथ में लिए रहते हैं तथा ‘खोरदार’ थाली बजाकर इस नृत्य के संगीत को लय देता हैं । नर्तकों के कमर में बंधे ढांक वाद्य यंत्र नृत्य की लय एवं संगीत को गतिमान बनाते हैं ।
x.kxkSj u`R; Gangour
गणगौर मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल का एवं दूसरे का हाथ पकडे़ वृत्ताकर घेरे में गौरी मॉं से अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हुई नृत्य करती हैं । इस नृत्य के गीतों का विषय शिव-पार्वती, ब्रम्हा- सावित्री तथा विष्णु-लक्ष्मी की प्रशंसा से भरा होता है । यह प्रसिध्द नृत्य हैं, जो पारम्परिक त्यौहार के रूप में मनाया जाता हैं । गणगौर उत्सव तीज के अवसर पर चैत्र माह में शुरू होता हैं और नौ दिन तक चलता हैं। यह उत्सव मॉं पार्वती की प्रीति को समर्पित होता हैं । झालरिया एवं मटकी गणगौर नृत्य, ढोल की थाप पर होता हैं । इस नृत्य में गौरी एवं शिव जिन्हें वहां की परम्परा में ‘रेनू-धनियार’ के नाम से जाना जाता है को रथ पर बैठाया जाता हैं । नर्तकियॉं एक दूसरे का हाथ पकडे़ वृत्ताकर घेरे में गौरी मॉं से अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हुई नृत्य करती हैं । इस नृत्य के गीतों का विषय शिव-पार्वती, ब्रम्हा-सावित्री तथा विष्णु-लक्ष्मी की प्रशंसा से भरा होता हैं ।
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