Vincent Willem van Gogh (30 March 1853 – 29 July 1890) was a Dutch post-Impressionist painter whose work, notable for its rough beauty, emotional honesty, and bold color, had a far-reaching influence on 20th-century art. After years of painful anxiety and frequent bouts of mental illness, he died at the age of 37 from a gunshot wound, generally accepted to be self-inflicted. His work was then known to only a handful of people and appreciated by fewer still.
Van Gogh loved art from an early age. He began to draw as a child, and he continued making drawings throughout the years leading to his decision to become an artist. He did not begin painting until his late twenties, completing many of his best-known works during his last two years. In just over a decade, he produced more than 2,100 artworks, consisting of 860 oil paintings and more than 1,300 watercolors, drawings, sketches and prints. His work included self portraits, landscapes, still lifes of flowers, portraits and paintings of cypresses, wheat fields and sunflowers.
Van Gogh spent his early adulthood working for a firm of art dealers, traveling between The Hague, London and Paris, after which he taught for a time in England. One of his early aspirations was to become a pastor and from 1879 he worked as a missionary in a mining region in Belgium where he began to sketch people from the local community. In 1885, he painted his first major work The Potato Eaters. His palette at the time consisted mainly of somber earth tones and showed no sign of the vivid coloration that distinguished his later work. In March 1886, he moved to Paris and discovered the French Impressionists. Later he moved to the south of France and was taken by the strong sunlight he found there. His work grew brighter in color, and he developed the unique and highly recognizable style that became fully realized during his stay in Arles in 1888.
The extent to which his mental health affected his painting has been a subject of speculation since his death. Despite a widespread tendency to romanticize his ill health, modern critics see an artist deeply frustrated by the inactivity and incoherence brought about by his bouts of illness. According to art critic Robert Hughes, van Gogh's late works show an artist at the height of his ability, completely in control and "longing for concision and grace".
विन्सेंट विलेम वैन गो
विन्सेंट विलेम वैन गो (३० मार्च १८५३ – २९ जुलाई १८९०) नीदरलैण्ड के अत्यंत प्रतिभावान चित्रकार थे जिनकी पर-प्रभाववादी चित्रकारी ने २०वीं शताब्दी की आधुनिक कला पर अमिट छाप छोड़ी है। इनके चित्र विशद रंगों और संवेदनाओं से भरे हैं। जीवनभर इन्हें कोई सम्मान नहीं मिला, बल्कि मानसिक रोगों से लड़ते रहे, अपना कान तक काट डाला, और अंततः ३७ वर्ष की आयु में गोली मार कर आत्महत्या कर ली। मृत्योपरांत इनकी ख्याति बढ़ती ही गई और आज इन्हें संसार के महानतम चित्रकारों में गिना जाता है और आधुनिक कला के संस्थापकों में से एक माना जाता है। वैन गो ने २८ वर्ष की आयु में चित्रकारी करना शुरु किया और जीवन के अंतिम दो वर्षों में अपनी सबसे महत्त्वपूर्ण रचनाएं बनाईं। ९ साल के समय में इन्होंने २००० से अधिक चित्र बनाए जिनमें लगभग ९०० तैल-चित्र शामिल हैं। इनके द्वारा रचित स्वयं-चित्र, परिदृश्य, छवियाँ और सूरजमुखी विश्व की सबसे प्रसिद्ध और महंगी कलाकृतियों में शामिल हैं।
वैन गो ने अपने वयस्क जीवन की शुरुआत की कलाकृतियों के व्यापारियों के साथ काम करते हुए और द हेग, लंदन और पैरिस के बीच काफी घूमे। इसके बाद इन्होंने इंग्लैण्ड में कुछ समय पढ़ाया भी। इनकी कामना थी पादरी बनने की, और इसी मकसद से इन्होंने १८७९ से बेल्जियम की एक खान में मिशनरी का काम करना शुरु किया। इसी दौरान इन्होंने आस-पास के लोगों के चित्र बनाना शुरु किया, और १८८५ में अपनी पहली मुख्य रचना आलूहारी (The Potato Eaters, द पोटेटो ईटर्स) बनाई। उस समय ये अपने चित्रों में मलिन रंगों का उपयोग करते थे। मार्च १८८६ में ये कलाकार बनने का ध्येय लेकर पैरिस पहुंचे और इनका सामना हुआ फ्रांसीसी प्रभाववादी कलाकारों से। कुछ समय बाद ये दक्षिणी फ्रांस पहुंचे, जहाँ की चकाचौंध धूप इन्हें बहुत सुहाई। तबसे इनके चित्रों में चमकीले रंगों का प्रयोग बढ़ना शुरु हुआ। आर्ल में रहते हुए इन्होंने अपनी निराली शैली विकसित की जिससे आज इनकी पहचान होती है।
इनके मानसिक रोगों का इनकी कला पर क्या प्रभाव डाला इसपर बहुत चर्चा हुई है। आजकल यह माना जाता है कि ये परिपूर्ण कलाकार थे जो अपने रोग के कारण नष्ट हुए समय को लेकर निराश रहते थे।